Tuesday, May 17, 2011

जिंदगी का यह सफ़र


जिंदगी  का यह सफ़र
राहें अलग अलग
कारवां जुदा जुदा
कहाँ से  हुआ शुरू?
कहाँ होगा खत्म?

कहाँ है मंजिल?
कहाँ हैं जन्नत?
कहाँ है खुदा?
जिंदगी का सफ़र 
राहें अलग अलग
मंजिल है एक सी
जहाँ से हुआ शुरू
वहीँ होगा ख़त्म
तू अपने दिल से पूछ
कहाँ है खुदा?
कहाँ है जन्नत?
पायेगा तू खुद में
जन्नत ओर खुदा
बस इतना जान ले
वो ओर कोई नहीं
फर्क कोई नहीं
रिश्ता है तुझमें मुझमें
वो ओर कोई नहीं
वो  रिश्ता एक सा है
वो नाता एक सा है
इंसानियत जिसका नाम है
मोहब्बत जिसका पैगाम है
मिलेगी मंजिल तुझे
तू रिश्ता जोड़ के तो देख
जिंदगी  का यह सफ़र
राहें  अलग अलग



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