Friday, July 29, 2011

रास्तों को पकड़ता हूँ मैं

रास्तों को पकड़ता हूँ मैं !
और दूर चली जाती है वो !
लगता है रास्ते वही हैं !
पर कहीं और है वो !
तलाश में उसके मैं !
रास्ते बदल-बदल चलता हूँ मैं !
लगता है यहीं कहीं है वो !
फिर दूर निकल जाती है वो !
शायद मेरी नजरों का धोखा है !
वो है यही जिसकी मुझे तलाश है !

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