Friday, July 29, 2011

भारत विश्व गुरु .....!!

भारत के चिकित्सा विज्ञान में विश्वगुरु होने के प्रमाण के रूप में ये सत्य गाथा आज गुरुपूर्णिमा के अवसर पर प्रस्तुत कर रहा हूँ :-
आयुर्वेद के ग्रन्थ सुश्रुत संहिता में प्लास्टिक सर्जरी का सन्दर्भ मिलता है, जिसमें गले से त्वचा लेकर कान की पाली को बनाने का विस्तृत वर्णन है I आचार्य सुश्रुत के बाद "राईनोप्लास्टी " की यह तकनीक भारत के कुछ पारंपरिक वैद्यों द्वारा छुपकर बाद में प्रयोग की जाती रही Iकोवास्जी एक बैलगाड़ी चलानेवाले की गाथा इस बात का प्रमाण है I कोवास्जी अपनी बैलगाड़ी से दक्षिण भारत में रह रहे ब्रितानी सैनिकों को राशन की आपूर्ति करता था, जबकि तत्कालीन शासक के अनुसार ये गुनाह था क्योंकि वहां ब्रितानियों का विरोध हो रहा था I तब कोवास्जी को पकड़कर नाक काटने का फरमान तत्कालीन शासक द्वारा जारी हुआ और उसकी नाक काट दी गयी I बाद में कोवास्जी की नाक एक पारंपरिक चिकित्सक ने सुश्रुत की तकनीक से बनायी I इस सर्जरी के गवाह दो ब्रिटिश चिकित्सक बने, जिस बात का उल्लेख १७९४ में ब्रिटेन से प्रकाशित "जेंटलमेंस मैगजीन " में किया गया I १८३७ के बाद पूरी ब्रिटेन में भारत की इस तकनीक का प्रयोग किया जाने लगा I "जेंटलमेंस मैगजीन " में प्रकाशित इस लेख से उत्साहित होकर जोसेफ कॉर्प (१७५४-१८४०) नामक सर्जन ने सबसे पहले इस तकनीक से सर्जरी क़ी ,और वो पहला यूरोपीयन सर्जन बना जिसे भारत क़ी तकनीक से सर्जरी का गौरव प्राप्त हुआ I कार्ल फ्रीडलैंड वोनग्राफ ने अपनी पुस्तक ""राईनोप्लास्टीक " में जोसेफ कॉर्प द्वारा क़ी गयी इस सर्जरी का वर्णन किया है I "राईनोप्लास्टीक " पुस्तक ने यूरोप के सर्जनो को इस तकनीक से प्रोत्साहित करने का काम किया I जोनाथन नेथोन वारेन ने १८३७ में नोर्थ अमेरिका में इस भारतीय तकनीक से क़ी गयी सर्जरी क़ी रिपोर्टिंग क़ी थी I १८९७ के बाद लगभग १५२ भारतीय राईनोप्लास्टीक सर्जरी होने का वर्णन है I यह इस बात का गवाह है क़ि भारत विश्वगुरु था,है और रहेगा ....!
डॉ नवीन चन्द्र जोशी
एम्.डी .आयुर्वेद

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