चवन्नी तू बड़ी कमाल क़ी थी !
छोटे थे तब एक माचिस की कीमत थी चवन्नी !
सुर्ख होठों क़ी लाली पान क़ी कीमत थी चवन्नी !
अब चवन्नी कहाँ अठन्नी भी रोती है अपनी किस्मत पर !
कहती है,मुझे भी मुक्ति दो ए मेरे विधाता !
अब भीख में भी नहीं लेते भिखारी मुझे !
क्या करूँ जब रुपैये क़ी ही कोई औकात नहीं !
अब सिर्फ मुस्कानों में याद आयेगी चवन्नी !
चवन्नी तू बड़ी कमाल की थी !
छोटे थे तब एक माचिस की कीमत थी चवन्नी !
सुर्ख होठों क़ी लाली पान क़ी कीमत थी चवन्नी !
अब चवन्नी कहाँ अठन्नी भी रोती है अपनी किस्मत पर !
कहती है,मुझे भी मुक्ति दो ए मेरे विधाता !
अब भीख में भी नहीं लेते भिखारी मुझे !
क्या करूँ जब रुपैये क़ी ही कोई औकात नहीं !
अब सिर्फ मुस्कानों में याद आयेगी चवन्नी !
चवन्नी तू बड़ी कमाल की थी !
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