Friday, May 13, 2011

मैंने तुझे स्थान दिया.................


मैंने तुझे स्थान दिया
जीवन वृद्धि का अरमान दिया
धूप दी तो छाँव दिया
क्षुधा दी तो भोजन दिया
काटें दिए तो फूल दिया
पवन दिया,नभ दिया
अग्नि दी, जल दिया
जंगल दिए,प्राणी दिए,
बदले मैं तुने मुझे क्या दिया
नंगी जमीन,सूने जंगल
दूषित जल ,कंक्रीट के महल
मुझे चाहिए इनका हिसाब
अब धूप नहीं आग बरसेगी
अब क्षुधा नहीं भूख दिखेगी
अब पवन नहीं तूफ़ान आयेंगे
अब अग्नि नहीं शोले दिखेंगे
अब जल नहीं सैलाब दिखेगा
अब प्राणी नहीं शमशान दिखेगा
अब भी वक़्त है तू जान
मेरी सत्ता को पहचान
तू सहेज मेरे दिए को
वापस कर मेरे ये गहने
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