Tuesday, May 17, 2011

खुद के लिए जिया तो क्या जिया


खुद के लिए जिया तो क्या जिया
खुद के लिए  जानवर भी जीते हैं
मिट जायेगी तेरी तन्हाई आयेंगी खुशीयाँ
तू औरों के लिए जी कर  तो देख
हर करम पे मिलेंगे तुझे खुदा

तू खुदा के लिए जी कर तो देख
ग़ुरबत,बेबसी,लाचारी से भरी जिंदगी देख
खुदा भी कहता है,अपने बन्दों से 
तू उठ, जाग,खड़ा हो मेरे लिए
तू अपना है,पराया नहीं
तू मेरे लिए जी कर  तो देख
 मैं अपने बन्दों से ना कहूँ अपना दुःख
तो क्या जाहिलों से कहूँ
वो भी मेरे बन्दे हैं
फर्क इतना है,तू अपना है दर्द समझता है
वो अपना है,दर्द देता है

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