Thursday, June 30, 2011

मानसून :बीमारियाँ एवं आयुर्वेदिक उपचार


मानसून के आते ही सपूर्ण धरा हरियाली से परिपूर्ण हो जाती है,तथा हर तरफ नवसृजन का रोमांच प्रस्फुटित हो जाता है,लेकिन साथ ही बारिश के बाद अचानक आई धूप से उत्पन्न उमस कई बीमारियों का कारण बन जाती हैI
इसी मौसम में खांसी-जुखाम एवं नजला जैसी समस्या कुछ लोगों में आमतौर पर देखने में आती है I ऐसी ही कुछ सामान्य जान पड़नेवाली परेशानियों की  लगातार अनदेखी से कई बार खतरनाक संक्रमण भी उत्पन्न हो सकता है I हाँ,थोड़ी सी सावधानियां एवं प्राकृतिक जीवनशैली को अपनी दिनचर्या में शामिल कर हम  न केवल रोगों से बच सकते हैं, बल्कि अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को  बढ़ाकर भविष्य में होनेवाले संक्रमणों से निजात पा सकते हैं I                  आयुर्वेद संपूर्ण जीवन का विज्ञान है जहाँ प्राकृतिक जडी -बूटियों एवं जीवनशैली में परिवर्तन को विशेष महत्व दिया गया है,ऐसे ही कुछ सरल आयुर्वेदिक एवं प्राकृतिक उपायों को हम दैनिक रूप से उपयोग कर मानसून के समय होनेवाली सामान्य बीमारियों से अपने शरीर की रक्षा कर सकते हैं I
*तुलसी के पत्तों को अदरख एवं काली मिर्च के साथ हलके गुनगुने पानी में मिलाकर लगातार चाय के रूप में सेवन करने से नजला-जुखाम से राहत मिलती है I
*गिलोय के डंठल को छोटा काटकर इसका रस निकालकर  हल्दी के पाउडर के साथ समान मात्रा में मिलाकर आधा से एक चम्मच लगातार सेवन करने से एलर्जी से निजात मिलती है I
*आधा चम्मच सौंठ का शहद के साथ लगातार प्रयोग भूख को सामान्य कर इस ऋतु में होने वाले जोड़ों के दर्द के लिए अचूक औषधि है I
*त्रिकटु चूर्ण एवं अविपत्तिकर चूर्ण को समान मात्रा में मिलाकर लगातार गुनगुने पानी से आधा से एक चम्मच लेना गले के दर्द (टांसिल में सूजन ) में हितकारी होता हैI
*नीम के पत्ते का बारीक चूर्ण,गिलोय का चूर्ण एवं आंवले का चूर्ण समभाग या तीनों का ताजा रस निकालकर लगातार एक चम्मच सेवन करना रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाता हैI
*चिरायता,करेला,गिलोय,नागरमोथा,पित्तपापडा इन सबका स्वरस निकालकर आधे से एक चम्मच तक उम्र के अनुसार प्रयोग कराने से मौसमी बुखार में लाभ मिलता है I
*भोजन के पचने के बाद  हरड,भोजन से पूर्व बहेड़ा एवं भोजन के तत्काल बाद आंवले का चूर्ण गुनगुने पानी के साथ नित्य सेवन करने से पेट की  बीमारियाँ नहीं होती हैं  तथा भूख एवं पाचन की  प्रक्रिया सामान्य होती हैI
* दूब घास का स्वरस, प्याज का स्वरस एवं अदरख का स्वरस मौसमी नकसीर (नाक से खून निकलना ) के रोगियों के  नाक में दो से चार बूँद टपका देने मात्र से चमत्कारिक लाभ मिलता हैI
* हरड का इस ऋतू में अलग-अलग प्रयोग विभिन्न रोगों में अचूक  लाभ देता है जैसे :चबाकर खाने से भूख खुलती है,पीसकर खाने से पेट साफ़ होता है,उबालकर खाने से संग्रहणी (कोलाईटिस) में लाभ मिलता है I 
* बर्षा ऋतु में गरिष्ट भोजन कब्ज का कारण बनता है अतः त्रिफला चूर्ण  का आधे से एक चम्मच लगातार सेवन कब्ज को दूर कर,पाईल्स के रोगियों में लाभ देता है I
इस ऋतु में कुछ सावधानियों को भी ध्यान में रखकर हम अकारण ही रोगों के आमंत्रण को दूर कर सकते हैं:-
*रात्रि में दही के सेवन से यथासंभव बचें,अगर लेना हो तो काला नमक या निम्बू के साथ ही  लें I
*अचानक धूप से आकर आइसक्रीम,शीतल पेय आदि का सेवन ना करें i
*वातानुकूलित कमरे से अचानक धूप में तथा धूप से अचानक वातानुकूलित कमरे में आने से बचें I
*ताज़ी सब्जियों एवं फलों के सेवन को भोजन में प्राथमिकता दें I
*यदि गले में दर्द टांसिल में सूजन के कारण हो तो खट्टे अचार एवं शीतल पेय के सेवन से बचें तथा गुनगुने पानी में नमक डालकर तीन से चार बार गरारे करें I
*भोजन में शाकाहार को प्राथमिकता देते हुए सलाद एवं रेशेदार आहार को प्राथमिकता दें I
*यथा संभव पार्टियों में दिए जानेवाले तले भूने मसालेदार एवं गरिष्ट भोजन से दूर रहें I

आयुर्वेदिक सरल नुस्खों के अलावा आयुर्वेदिक जीवनशैली को  अपनाकर  भी हम मानसूनी बीमारियों से बच सकते हैं,जैसे :प्रातः काल गुनगुने पानी का नित्यप्रति सेवन पेट से सम्बंधित बीमारियों के लिए रामबाण औषधि के तुल्य हैI योग के आसनों एवं प्राणयाम  का अभ्यास एवं नियमित तनावमुक्त दिनचर्या हमारे जीवन से शारीरिक एवं मानसिक विकृतियों को दूर रखने में मददगार होती है Iकहा भी गया है "जैसा होगा भोजन वैसा होगा मन"I अतः भोजन को संतुलित एवं सयंम से प्रयोग कर तथा आयुर्वेदिक प्राकृतिक औषधियों का नित्य सेवन कर हम  स्वयं को निरोगी बना  सकते हैं I

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डॉ नवीन चन्द्र जोशी
एम्.डी.आयुर्वेद 
सम्पादक आयुष दर्पण
ई -मेल  :ayushdarpan@gmail.com 

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