हाँ मुझे आंसू आते हैं ..
पर तब नहीं जब नेताओं को आते हैं ....
हाँ मुझे आंसू आते हैं ....
पर तब नहीं जब आतंकी मारे जाते हैं....
हाँ मुझे आंसू आते हैं ..
पर तब नहीं जब लोग अपनी उम्र पूरा कर जाते हैं....
हाँ मुझे आंसू आते हैं ....
पर तब नहीं जब सजायाफ्ता शीघ्र न्याय पाते हैं ....
हाँ मुझे आंसू आते हैं ....
तब, जब आतंकी शान से मेहमानवाजी का आनंद लेते हैं....
हाँ मुझे आंसू आते हैं ....
तब, जब आंसुओं से भावनाएं भड़काई जाती हैं.....
हाँ मुझे आंसू आते हैं.....
तब, जब शहीदों क़ी चिताओं के सामने घडियाली आंसू बहाए जाते हैं ...
हाँ मुझे आंसू आते हैं ......
तब ,जब कोई भूखा अनाज गोदामों में सड़ता देखता है ....
हाँ मुझे आंसू आते हैं ......
तब,जब सोने क़ी चिड़िया को याद किया जाता है .....
काश ये आंसू दिल से आते और दिमाग को छू जाते तो आंसुओं पर कविता न लिखी जाती...
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