भूख यदि जीवन में न हो तो कोई काम न हो,पापी पेट की भूख के लिए जीव न जाने क्या क्या करता है। भूख वासना की हो, या हो धन अर्जन की, नियंत्रण में हो तो बड़े बड़े काम करवा डालती है ,पर भूख अगर काबू से बाहर हो तो बर्बादी का मार्ग भी प्रशस्त करती है। ऐसे ही हमारे शरीर में भी अग्नि का व्यापार भूख को उत्पन्न करता है और यदि अग्नि तीक्ष्ण होकर अनियंत्रित हो तो शरीर को भस्म करने वाला रोग भस्मक पीछा नहीं छोड़ता है।
आयुर्वेद में पिंड को ब्रह्माण्ड से जोड़ा गया है, तो जैसा हम बाहर की दुनिया में देखते हैं वैसा ही कुछ शरीर के अन्दर भी होता है ...स्वस्थ रहने के लिए हमें अपने भूख पर नियंत्रण करने की आवश्यकता होती है, जिसे उपवास नाम दिया गया है, इससे शरीर में लघुता (हल्कापन ) आता है और ज्वर जैसे रोगों में इसे चिकित्सार्थ बताया है ,जिन बातों को सदियों पूर्व हमारे आचार्यों ,ऋषि ,मुनियों ने आयुर्वेद के माध्यम से दुनिया के समक्ष रखा था।
आज वही सारी बातें दुनिया के वैज्ञानिक अपनी शोधों के माध्यम से पुष्ट कर रहे हैं, अभी हाल ही में कैंसर के रोगियों में उपवास के द्वारा टयूमर बनाने वाली कोशिकाओं को कमजोर करने वाला पाया गया है,साथ ही यह भी पाया गया है इससे कैंसर में दी जा रही कीमोथेरेपी भी अधिक कामयाब होती है,यह बात भले ही अभी प्रारम्भिक तौर पर चूहों पर किये गए शोध में सामने आयी हो पर देर सवेर इसकी पुष्टि मानव शरीर में होनी तय ही है .....!! इस आर्टिकल को पढ़ने के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करें ..http://religion.bhaskar.com/article/yoga-the-user-has-control-over-one-thing-you-touch-will-not-be-diseases-2870558.html
आयुर्वेद में पिंड को ब्रह्माण्ड से जोड़ा गया है, तो जैसा हम बाहर की दुनिया में देखते हैं वैसा ही कुछ शरीर के अन्दर भी होता है ...स्वस्थ रहने के लिए हमें अपने भूख पर नियंत्रण करने की आवश्यकता होती है, जिसे उपवास नाम दिया गया है, इससे शरीर में लघुता (हल्कापन ) आता है और ज्वर जैसे रोगों में इसे चिकित्सार्थ बताया है ,जिन बातों को सदियों पूर्व हमारे आचार्यों ,ऋषि ,मुनियों ने आयुर्वेद के माध्यम से दुनिया के समक्ष रखा था।
आज वही सारी बातें दुनिया के वैज्ञानिक अपनी शोधों के माध्यम से पुष्ट कर रहे हैं, अभी हाल ही में कैंसर के रोगियों में उपवास के द्वारा टयूमर बनाने वाली कोशिकाओं को कमजोर करने वाला पाया गया है,साथ ही यह भी पाया गया है इससे कैंसर में दी जा रही कीमोथेरेपी भी अधिक कामयाब होती है,यह बात भले ही अभी प्रारम्भिक तौर पर चूहों पर किये गए शोध में सामने आयी हो पर देर सवेर इसकी पुष्टि मानव शरीर में होनी तय ही है .....!! इस आर्टिकल को पढ़ने के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करें ..http://religion.bhaskar.com/article/yoga-the-user-has-control-over-one-thing-you-touch-will-not-be-diseases-2870558.html
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