Sunday, October 16, 2011

जिस काम को करने में आपको आपको आनंद एवं संतुष्टि का एहसास मिलता हो, वह एक महान काम का रूप ले लेता है...


कई बार हम हम असफलताओं से परेशान होकर अपनी किस्मत को दोष देने लग जाते हैं और अक्सर यह कहते हैं ,क़ि मेरा भाग्य साथ नहीं दे रहा ,पर आइये आपको हम एक कहानी सुनाते हैं ,जो यह सन्देश देती है, क़ि कई बार व्यक्ति असफलता के कारण ही सफलता के नए मुकाम हासिल करता है I आज पूरी  दुनिया स्टीव जॉब की सफलता क़ी कहानी बयाँ करते नहीं थक रही   है I  स्टीव जॉब  को  पूरी दुनियाँ एप्पल  कंपनी के संस्थापक के रूप में जानती है I संचार जगत में आई-पोड जैसे बहुआयामी आविष्कार को लाने का श्रेय इसी कंपनी को जाता है और इसके पीछे  स्टीव जॉब का नाम आता है I पेंक्रीयास के कैंसर से दिवंगत स्टीव के जीवन के कुछ रोचक पहलुओं को आपके सम्मुख प्रस्तुत करने का सार उनके जीवन से मिलने वाला एक सन्देश है, जिसे आप अपने जीवन में उतार कर सफल बनना चाहेंगे I
स्टीव ने अपनी स्नातक क़ी  पढ़ाई प्रवेश के छह महीने बाद ही छोड़ दी थी  और अठारह महीने वे यूँ ही बैठे रहे ,इसके पीछे के कारण के बारे में स्टीव का कहना था, क़ि इसकी शुरुवात मेरे पैदा होने से पहले ही शुरू हो चुकी थी I  मेरी बायोलोजिकल माँ जो तब  युवा थी , ग्रेजुएसन के लिए कालेज में दाखिला नहीं ले पायी थी, सिर्फ इसलिये उन्होंने मुझे एडाप्ट कराने का फैसला लिया ,ताकि मैं ग्रेजुएट हो सकूँ और इसलिये मेरे भविष्य को तय करने हेतु बचपन में ही एक वकील  दंपत्ति ने    मुझे एडाप्ट कर लिया I सत्रह साल के बाद मैंने स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय में दाखिला लिया, यह विश्वविद्यालय इतना महंगा था क़ि मेरे माता- पिता क़ी सारी जमा पूंजी मुझे पढ़ाने मैं ही खर्च हो जानेवाली थी I छह महीने बीतते- बीतते मुझे यह बकवास नजर आने लगा,मुझे यह भी समझ में  नहीं आ रहा था कि मुझे करना क्या है?  मेरी माता -पिता क़ी जमा पूंजी खर्च कर क़ी गयी ,इस  कालेज क़ी पढ़ाई से  मेरे भविष्य क़ी क्या दिशा तय होगी  ? अंततः मैंने कालेज छोडने का फैसला लिया,पर शायद यह मेरी जिन्दगी का सबसे अच्छा फैसला था ,जैसे   ही मैंने कालेज छोड़ा,अब मुझे पहले जिन विषयों में रूचि नहीं थी, उनमें अब रूचि पैदा होने लगी, यह सब एक रोमांचकारी अनुभव था I मेरे पास सोने के लिए दोस्तों के  कमरे का फर्श था,और में दोस्तों क़ी कोक क़ी  बोतलों को वापस कर इकठ्ठा किये गए 5¢ से अपने लिए खाना खरीद कर लाता था और अच्छा खाना खाने के लिए हर रविवार  शहर से सात मील दूर हरे कृष्ण मंदिर जाया करता था I
रीड कालेज का नाम तब केलीग्राफ़ी के लिए मशहूर था, हर जगह अक्षरों को अलग-अलग स्टाइल से लिखा गया था, जो बड़ा ही नायाब लगता था ,चूँकि मैंने कालेज छोड़ दिया था ,तो मैं नियमित छात्र के रूप में कक्षा में प्रवेश नहीं कर सकता था I   अतः केलिग्राफ़ी क़ी को सीखने का मैंने  फैसला किया I अक्षरों को अलग-अलग प्रकार से सजाना अपनेआप में रुचिपूर्ण और एक अलग सा एहसास था I  लेकिन मेरे जीवन में इसका क्या उपयोग होगा यह समझ से परे था I दस वर्ष के बाद जब मैंने मेकेंटोस कंप्यूटर को डिजायन किया, तब मुझे लगा क़ी हाँ, यह केलीग्राफ़ी का कमाल था, जिसने इस अद्भुत रचना को पैदा करने में अपनी भूमिका निभाई थी I
मैंने एप्पल कंपनी को २० वर्ष की  उम्र  अपनी माता -पिता क़ी गेराज में २० कर्मचारीयों से  प्रारम्भ किया था,हमने परिश्रम किया और देखते ही देखते यह दो बिलियन  डालर क़ी ४००० कर्मचारीयों क़ी कंपनी बन गयी  I हमने अपना सबसे नायाब उत्पाद मेकेंटोस कंप्यूटर के रूप में बनाया था ,तब मैं सिर्फ ३० साल का था,तभी कंपनी के प्रबंधन  ने मुझे निकालने का फैसला लिया, जिस कंपनी क़ी शुरुवात ही मैंने क़ी थी उसी कंपनी द्वारा निकाला जाना एक अजीब सा एहसास था I  अगले कुछ महीनों तक मेरे पास करने को कुछ नहीं था ,लेकिन में हारा नहीं मुझे लगता है क़ी एप्पल कम्पनी से निकाला जाना मेरे जीवन का सबसे अच्छा पल था, इससे मेरे अन्दर सफल होने का भार कुछ हल्का पड़ गया ,था और में  हलके मन से एक नए खिलाड़ी के रूप में नयी शुरुवात का प्रयास करने लगा था I   इसके बाद मैंने अगले पांच साल तक नेक्स्ट एवं पिक्सर नामक एक कंपनी चलाई और इसी दौरान एक अद्भुत महिला से मुझे प्यार हो गया, जो बाद में मेरी पत्नी बन गयी I  पिक्सर वह कंपनी थी जिसने सबसे पहली कंप्यूटर एनीमेटेड फिल्म बनायी थी ,जिसका नाम 'टॉय स्टोरी' था, आज यह दुनिया का सबसे बेहतरीन  एनीमेटेड स्टूडियो है I   कुछ ही दिनों बाद नेक्स्ट को एप्पल ने खरीद लिया और मेरी एप्पल में वापसी हो गयी I   मैं यह दावे के साथ कह सकता हूँ , कि एप्पल द्वारा निकाले जाने से ही  मुझे लॉरेन के रूप में एक परिवार मिला I  अक्सर ऐसा होता है, क़ि जिन्दगी आप के सर पर बार -बार पत्थर मारती है परन्तु भरोसा नहीं खोना चाहिए I   मेरे जीवन में भी ऐसा ही कुछ हुआ, पर मैं आगे बढ़ता गया, मैंने जिस काम से प्यार किया उसे करता चला गया और यही सच्चाई है ,क़ि जिस काम को करने में आपको आपको आनंद एवं संतुष्टि का एहसास मिलता हो वह एक महान काम का रूप ले लेता है I  
 संकलन :डॉ नवीन जोशी 
एम्.ड़ी.आयुर्वेद 
ई..मेल.: ayushdarpan@gmail.com

No comments:

Post a Comment