Saturday, October 15, 2011

जब खाना खाने का मन ही न करे तो आजमाएं ये अचूक फंडे

कहते हैं भूखे पेट भजन ना होय - यह उक्ति अक्षरश:  सत्य है, और भूख न लगना अनेक रोगों में एक लक्षण भी होता है।
-अगर भूख लगी हो और भोजन भी स्वादिष्ट हो ,फिऱ भी भोजन अच्छा न लग रहा हो तो -अरुचि ,
भोजन का नाम सुनने ,स्मरण करने ,देखने या स्पर्श करने से या गंध से ही अनिच्छा ,उद्वेग और द्वेष होना -भक्त्द्वेश, क्रोध के कारण ,डर जाने से या द्वेष  के कारण मन के अनुकूल भोजन रहने पर भी भोजन ग्रहण करने क़ी इच्छा न होना -अभक्तछंद के नाम से जाना जाता है।
आयुर्वेद इन सभी के पीछे शारीरिक और मानसिक कारण मानता है, आधुनिक विज्ञान भी गेस्ट्राइटीस,गेस्ट्रिककैंसर ,एनीमिया ,हाईपोक्लोरोहाईड्रीया आदि कारणों से इसे उत्पन्न होना मानता है। मानसिक कारणों में शोक,लोभ, क्रोध तथा मन के लिए अरुचि उत्पन्न करने वाले कारणों से इसकी उत्पत्ति  माना गया है।
आइये आपको हम कुछ साधारण आयुर्वेदिक नुस्खे बताते हैं जिससे इसे दूर किया जा सकता है ,लेकिन इनका सेवन आयुर्वेदिक चिकित्सक  के परामर्श से हो तो बेहतर होगा।
-भूना सफेद जीरा -250 मिलीग्राम ,सैंधा नमक -125 मिलीग्राम ,भूनी हींग -500 मिलीग्राम ,चीनी - 250मिलीग्राम ,काली मिर्च -125 मिलीग्राम ,पीपर-250 मिलीग्राम इन सबको सुबह- शाम  देने से रोगी में लाभ मिलता है।
-काली मिर्च-250मिलीग्राम ,सौंफ-250मिलीग्राम ,सैंधा नमक -250 मिलीग्राम ,जीरा -250 मिलीग्राम ,चीनी -2.5 ग्राम एवं भूनी हींग 500मिलीग्राम को चूर्ण के रूप में सुबह शाम गुनगुने पानी से लेना फायदेमंद रहता है।
-एक ही  प्रकार के भोजन को लगातार लेने से बचना चाहिए।
-रोगी को मनोनकूल  सादा एवं हल्का भोजन देना चाहिए।
-भोजन से पूर्व अदरख  या सौंठ  का प्रयोग  भी भूख बढाता है।
-कई बार मानसिक तनाव के कारण भी भूख नहीं लगती है,ऐसे में तनाव मुक्त होने मात्र से भूख लगने लगती है।
अत: हमें अपनी अग्नि का खय़ाल रखते हुए सात्विक,हल्का एवं स्वच्छ एवं पौष्टिक व् संतुलित आहार लेना चाहिए ,कहा भी गया है 'जैसा खाओगे अन्न वैसा रहेगा मन।इसी आर्टिकल को पढ़ने के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करें :
http://religion.bhaskar.com/article/yoga-if-you-do-not-feel-like-eating-try-this-surefire-fnde-2472260.html

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