Sunday, October 16, 2011

आयुर्वेदिक उपाय: इस तरह दूर भगाएं टेंशन को...


युग बदल रहा है ,यह सत्य है। आज मानव जीवन भी युग के अनुसार परिवर्तित हो रहा है,आज हमारे पास समय कम है, दूसरों के लिए ही नहीं अपने लिए भी  प्रतिस्पर्धा क़ी दौड़ शरीर पर अनावश्यक तनाव पैदा कर रही हैं। हाँ यह सत्य है ,कि़ तनाव हर उम्र एवं युग में था ,अगर नहीं तो हमारे ऋषि  मुनियों ने पंचकर्म की  तकनीक शिरोधारा को विकसित न किया होता। यूँ तो पंचकर्म अपनी विभिन्न विधियों द्वारा चिकित्सा के लिए जाना जाता है, परन्तु अभ्यंग एवं शिरोधारा जैसी तकनीक आज पूरी दुनिया में अपनाई जा रही है।
आइये ऐसी ही एक तकनीक से हम आपका परिचय कराते हैं, जिसका नाम है'शिरोधारा पंचकर्म क़ी इस तकनीक का प्रयोग आज हेल्थ टूरिज्म एवं रिसोर्ट को विकसित करने में किया जा रहा है। अमेरिका एवं यूरोपीयन यूनियन के देशों में स्पा में लोग इस तकनीक से लाभ ले रहे रहे हैं। इस तकनीक को केरल के पंचकर्म चिकित्सक भी रोगियों के साथ- साथ  स्वस्थ व्यक्तियों को मानसिक रूप से स्वस्थ रखने में प्रयोग कराते रहे है। यह तकनीक शिरो- अर्थ सिर एवं धारा- अर्थ एक धार के रूप में द्रव्य गिराना से बनी है , अर्थात शिर पर एक निश्चित दूरी से धारा के रूप में द्रव्य गिराना शिरोधारा कहलाता है।  द्रव्य :दूध ,जल ,तक्र ,नारियलपानी या औषधि सिद्धित तेल हो सकता है , जिसके अनुसार इसे क्षीरधारा,जल धारा ,तक्रधारा, तैलधारा आदि नामों से जाना जाता है।
विभिन्न आधुनिक शोध इस बात को सिद्ध कर चुके हैं कि़  शिरोधारा से एंजायटी के स्तर को कम करने में मदद मिलती है, इसका कारण प्लाज्मा नोराड्रेनालीन एवं यूनिनरी सेरोटोनीन के स्तर में कमी आना है। इसे आयुर्वेदिक चिकित्सक सुख-चिकित्सा या रेस्टोरटिव ट्रीटमेंट  के रूप में प्रयोग कराते हैं। शिरोधारा का प्रयोग : साइनोसाईटिस,नींद न आना,भूलना ,सुनाई न देना,बालों का असमय सफ़ेद होना तथा झडना,चक्कर आना ,सोरीअसिस जैसे त्वचा रोगों में आयुर्वेदिक चिकित्सक  प्रयोग कराते हैं।  बस देर किस बात क़ी है,आप भी आज ही इस पंचकर्म क़ी  तकनीक का लाभ लें और किसी नजदीकी पंचकर्म केंद्र में जाकर विशेषज्ञ चिकित्सक के निर्देशन में अपने मानसिक स्वास्थ्य को संरक्षित करें।इसी आर्टिकल को पढ़ने के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करें  :
http://religion.bhaskar.com/article/yoga-pensioners-which-will-be-tension-2408034.html

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