आपको दिन में सपने देखने या सिजोफ्रेनीया से पीडि़त रोगों के लिए एक खुशखबरी है। योग के अंतर्गत आने वाली ध्यान (मेडिटेशन ) का नियमित अभ्यास इन बीमारियों से छुटकारा दिला सकता है । येल विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. जुड्सन ब्रेवर एवं उनकी टीम ने तीन अलग-अलग ध्यान की विधियों पर मस्तिष्क की एक्टिविटी को एम.आर.आई .के माध्यम से देखा ।
उन्होंने पाया कि, चाहे किसी भी विधि से ध्यान का अभ्यास किया जाय ,यह मस्तिष्क की डिफाल्ट मोड नेटवर्क में सक्रियता को कम कर देता है ,जो एंजाईटी (अनावश्यक डर एवं चिंता ),काम में मन नहीं लगता ,हायपरएक्टिव डिसऑर्डर (अतिसक्रियता ) एवं अल्जाइमर जैसी समस्याओं से निजात दिला सकता है।
शोधकताओं का मानना है, कि ध्यान के अभ्यासी धीरे-धीरे स्वयं के मस्तिष्क को नियंत्रित कर अपने अन्दर मैं की भावना को दबा देते हैं, और विचारों के भटकाव को भी कम कर देते हैं, ऐसा अक्सर सिजोफ्रेनीया जैसी बीमारियों में देखने में आता है। यह अध्ययन प्रोसीडिंग ऑफ नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस में प्रकाशित हुआ है।
इसी आर्टिकल को पढ़ने के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करें :http://religion.bhaskar.com/article/yoga-bored-at-work-2591798.html
उन्होंने पाया कि, चाहे किसी भी विधि से ध्यान का अभ्यास किया जाय ,यह मस्तिष्क की डिफाल्ट मोड नेटवर्क में सक्रियता को कम कर देता है ,जो एंजाईटी (अनावश्यक डर एवं चिंता ),काम में मन नहीं लगता ,हायपरएक्टिव डिसऑर्डर (अतिसक्रियता ) एवं अल्जाइमर जैसी समस्याओं से निजात दिला सकता है।
शोधकताओं का मानना है, कि ध्यान के अभ्यासी धीरे-धीरे स्वयं के मस्तिष्क को नियंत्रित कर अपने अन्दर मैं की भावना को दबा देते हैं, और विचारों के भटकाव को भी कम कर देते हैं, ऐसा अक्सर सिजोफ्रेनीया जैसी बीमारियों में देखने में आता है। यह अध्ययन प्रोसीडिंग ऑफ नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस में प्रकाशित हुआ है।
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