हाल में ही युनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर साईंसेज के डिपार्टमेंट ऑफ क्रोप फिजीयोलोजी ने इंसुलीन नहीं ले रहे। 27 ( एन.आई.ड़ी.ड़ी.एम.) डाइबिटीज एवं उच्च रक्तचाप के रोगियों पर स्टीविया नामक औषधीय पादप के प्रभाव पर आधारित एक अध्ययन किया है, इनमें 12 ( एन.आई.ड़ी.ड़ी.एम्.) डाइबिटीज एवं 17 उच्च रक्तचाप से पीडि़त रोगियों को एक माह तक स्टीविया नामक पादप का प्रयोग कराया गया।
उच्च रक्तचाप से पीडि़त रोगियों को स्टीविया एवं मूंगफली से मिलाकर बनायी गयी मीठी चिक्की खिलाई गयी तथा ( एन.आई.ड़ी.ड़ी.एम.) डाइबिटीज से पीडि़त रोगियों को स्टीविया से बनायी गया मीठा बन (मीठी रोटी ) दिया गया। इस अध्ययन में इस बात का ध्यान रखा गया कि,रोगी नियमित रूप से इसका सेवन अवश्य करें। उन्हें यह बताया गया, कि आप अपने चिकित्सक द्वारा बताये गए आहार का तो सेवन करें ही, परन्तु नाश्ते में स्टीविया से बने इन उत्पादों को भी लें।
इस प्रकार कराये गए अध्ययन को 35 से 54 आयु वर्ग के रोगियों में प्रयोग कराया गया, इस अध्ययन का उद्देश्य स्टीविया को चीनी के विकल्प के रूप में तलाश करना था ,ताकि इस मिठाई आदि में डालकर डाइबिटीज के रोगियों के लिए प्रयोग के योग्य बनाया जा सके। इस अध्ययन में स्टीविया से बनाए गए इन उत्पादों के ग्लाईसेमीकइंडेक्स को अलग- अलग प्रायोगिक तरीकों से शोध के दृष्टिकोण से देखा गया। अध्ययन में स्टीविया से बने।
उत्पादों की मिठास शक्कर से बने उत्पादों की अपेक्षा 300 से 400 गुना अधिक पायी गयी । इस अध्ययन ने यह सिद्ध किया कि़ स्टीविया डाइबिटीज के रोगियों में शक्कर का एक विकल्प हो सकता है, तो हैं न ,यह एक खुशी की बात ,अब यदि आपकी रक्त शर्करा बढी हो, तो चिकित्सक कहेंगे ,मीठा खाओ पर स्टीविया के साथ।इसी आर्टिकल को पढ़ने के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करें : http://religion.bhaskar.com/article/yoga-ayurveda-news-for-patients-with-diabetes-who-take-insulin-2570974.html
उच्च रक्तचाप से पीडि़त रोगियों को स्टीविया एवं मूंगफली से मिलाकर बनायी गयी मीठी चिक्की खिलाई गयी तथा ( एन.आई.ड़ी.ड़ी.एम.) डाइबिटीज से पीडि़त रोगियों को स्टीविया से बनायी गया मीठा बन (मीठी रोटी ) दिया गया। इस अध्ययन में इस बात का ध्यान रखा गया कि,रोगी नियमित रूप से इसका सेवन अवश्य करें। उन्हें यह बताया गया, कि आप अपने चिकित्सक द्वारा बताये गए आहार का तो सेवन करें ही, परन्तु नाश्ते में स्टीविया से बने इन उत्पादों को भी लें।
इस प्रकार कराये गए अध्ययन को 35 से 54 आयु वर्ग के रोगियों में प्रयोग कराया गया, इस अध्ययन का उद्देश्य स्टीविया को चीनी के विकल्प के रूप में तलाश करना था ,ताकि इस मिठाई आदि में डालकर डाइबिटीज के रोगियों के लिए प्रयोग के योग्य बनाया जा सके। इस अध्ययन में स्टीविया से बनाए गए इन उत्पादों के ग्लाईसेमीकइंडेक्स को अलग- अलग प्रायोगिक तरीकों से शोध के दृष्टिकोण से देखा गया। अध्ययन में स्टीविया से बने।
उत्पादों की मिठास शक्कर से बने उत्पादों की अपेक्षा 300 से 400 गुना अधिक पायी गयी । इस अध्ययन ने यह सिद्ध किया कि़ स्टीविया डाइबिटीज के रोगियों में शक्कर का एक विकल्प हो सकता है, तो हैं न ,यह एक खुशी की बात ,अब यदि आपकी रक्त शर्करा बढी हो, तो चिकित्सक कहेंगे ,मीठा खाओ पर स्टीविया के साथ।इसी आर्टिकल को पढ़ने के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करें : http://religion.bhaskar.com/article/yoga-ayurveda-news-for-patients-with-diabetes-who-take-insulin-2570974.html
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