मजबूत इच्छाशक्ति बड़े से बड़ा काम करवा सकती है, पर यही इच्छाशक्ति यदि खाने-पीने के मामले में कमजोर हो, तो रोगों को निमंत्रण भी देती है। यूनिवर्सिटी ऑफ अल्बर्टा के शोधकर्ताओं के अनुसार कमजोर इच्छाशक्ति हमारे खाने पीने के नियमों के पालन करने को प्रभावित करती है। आयुर्वेद में भी खाने-पीने के नियमों के पालन पर बहुत अधिक बल दिया गया है। सात्विक,पथ्य-अपथ्य का ध्यान रखते हुए ऋतुअनुकूल मितभुक होकर लिया गया भोजन स्वस्थ रहने का साधन है ,जबकि इसके विपरीत होकर लिया गया भोजन रोगों को खुला निमंत्रण देना है।
नाश्ते को हमारे दिनचर्या में महत्वपूर्ण माना गया है, कहा गया है, कि- नाश्ता राजा की तरह भरपेट ,दिन का भोजन राजकुमार की तरह ठीक -ठीक मात्रा में और रात का भोजन भिखारी के तरह थोड़ी मात्रा में होना चाहिए। यूनिवर्सिटी आफ अल्बर्टा के रॉबर्ट फिशर का मानना है , कि हममें से अधिकंाश लोगों को खाने -पीने के इन नियमों का पता होता है, लेकिन एक चीज की कमी हमें इनके पालन करने से रोकती है ,वो है 'इच्छाशक्ति'। वैसे भी यह देखा गया है, कि किसी व्यक्ति को यदि किसी खाने की चीज के लिए मना किया जाय, तो यह पाया जाता है ,कि वह तो उसके लिए अत्यंत प्रिय है। ऐसे ही आपने मधुमेह से पीडि़त लोगों को छुप-छुप कर मीठा खाते देखा होगा।
इन अध्ययनों के क्रम से यह बात सामने आयी है ,कि खाने-पीने के इन नियमों के पालन में लोगों का व्यवहार ,शारीरिक संतुष्टि एवं सामाजिक आवश्यकता एक अड़चन रूपी कारक का काम करता है। इस शोध से यह बात आश्चर्यजनक रूप से सामने आयी, कि मोटे व्यक्ति जिनका बाडी-मास-इंडेक्स अधिक था, को कम बाडी-मास-इंडेक्स वालों की अपेक्षा खाने -पीने के नियमों की अधिक जानकारी थी। ऐसे लोगों से जब पूछा गया, कि जब आपको पता है, कि इसको खाने से आपका मोटापा बढेगा,फिर आप क्यों इस प्रकार का भोजन लेते है , तो उनका जवाब था 'क्या करें कंट्रोल ही नहीं होता है।इसी आर्टिकल को पढ़ने के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करें :http://religion.bhaskar.com/article/yoga-many-diseases-may-be-inviting-you-its-a-habit-2549299.html
नाश्ते को हमारे दिनचर्या में महत्वपूर्ण माना गया है, कहा गया है, कि- नाश्ता राजा की तरह भरपेट ,दिन का भोजन राजकुमार की तरह ठीक -ठीक मात्रा में और रात का भोजन भिखारी के तरह थोड़ी मात्रा में होना चाहिए। यूनिवर्सिटी आफ अल्बर्टा के रॉबर्ट फिशर का मानना है , कि हममें से अधिकंाश लोगों को खाने -पीने के इन नियमों का पता होता है, लेकिन एक चीज की कमी हमें इनके पालन करने से रोकती है ,वो है 'इच्छाशक्ति'। वैसे भी यह देखा गया है, कि किसी व्यक्ति को यदि किसी खाने की चीज के लिए मना किया जाय, तो यह पाया जाता है ,कि वह तो उसके लिए अत्यंत प्रिय है। ऐसे ही आपने मधुमेह से पीडि़त लोगों को छुप-छुप कर मीठा खाते देखा होगा।
इन अध्ययनों के क्रम से यह बात सामने आयी है ,कि खाने-पीने के इन नियमों के पालन में लोगों का व्यवहार ,शारीरिक संतुष्टि एवं सामाजिक आवश्यकता एक अड़चन रूपी कारक का काम करता है। इस शोध से यह बात आश्चर्यजनक रूप से सामने आयी, कि मोटे व्यक्ति जिनका बाडी-मास-इंडेक्स अधिक था, को कम बाडी-मास-इंडेक्स वालों की अपेक्षा खाने -पीने के नियमों की अधिक जानकारी थी। ऐसे लोगों से जब पूछा गया, कि जब आपको पता है, कि इसको खाने से आपका मोटापा बढेगा,फिर आप क्यों इस प्रकार का भोजन लेते है , तो उनका जवाब था 'क्या करें कंट्रोल ही नहीं होता है।इसी आर्टिकल को पढ़ने के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करें :http://religion.bhaskar.com/article/yoga-many-diseases-may-be-inviting-you-its-a-habit-2549299.html
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