Monday, November 28, 2011

इमोशंस नहीं होते कंट्रोल तो बस अपनाएं ये एक फंडा


महर्षि पतंजलि द्वारा प्रणित योग का लोहा आज पूरी दुनिया के वैज्ञानिक मान रहे हैं। विभिन्न क्लिनिकल रिसर्च इस बात को साबित कर रहे हैं, कि योग की क्रियाओं के चमत्कारिक लाभ हैं। कुछ वर्षों पूर्व इसे मात्र स्वस्थ रहने के साधन के रूप में जाना जाता था ,लेकिन अब इसे जीवनशैली से सम्बंधित बीमारियों का उपचार भी किया जा रहा है, जो वैज्ञानिकों के नजरिये में आये बदलाव का सूचक है। यह बदलाव हमारी प्राचीन विधाओं के वैज्ञानिक होने का संकेत मात्र है, जिसे अब आधुनिक शोधवेत्ता माने को मजबूर हुए हैं।

हारवर्ड युनिवर्सिटी एवं जुस्ताक लेबिग यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों क़ी मानें तो योग में ध्यान (मेडीटेशन ) का अभ्यास, उच्च रक्तचाप ,मानसिक विकृतीयों एवं रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाने में प्रभावी  चिकित्सा है।

वैज्ञानिकों का कहना है , कि ध्यान (मेडीटेशन )का  अभ्यास  चार स्तरों पर कार्य करता है जो शरीर की चिकित्सा के रूप में प्रभावी है।

 1. सक्रियता को नियंत्रित करना।

 2. शरीर को जागरूक करना।

 3. भावनाओं को नियंत्रित करना।

 4. स्वयं के एहसास को जागृत करना ,ये सभी शारीरिक एवं मानसिक तनाव को कम करने के साधन हैं। हाँ यह बात नियमित अभ्यास एवं प्रशिक्षण के द्वारा ,हमारे भौतिक अनुभवों ,व्यवहार एवं मष्तिष्क की कार्यक्षमता को अवश्य ही प्रभावित करती है। यह अध्ययन जर्नल प्रेस्पेकटिव आफ  साइकोलोजिकल साइंस के नूतन संस्करण में प्रकाशित हुआ है।इसी आर्टिकल को पढ़ने के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करें :http://religion.bhaskar.com/article/yoga-ayurveda-emotions-are-not-control-just-taking-it-2539136.html
 

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